न यह अंत है, न यह आरंभ है
न यह नवीन है, न यह प्राचीन है
न यह स्वाधीन है, न यह पराधीन है
आकांक्षा भी यही और अनल भी
कृष्ण भी यही और कंस भी
राम भी यही और रावण भी
पुष्प भी यही है और भ्रमर भी यही है
अपरिमित, अजान, अबूझ, अनघ एक यही है
यह समय है, यह बस समय है
न यह गया है और न यह आने वाला है
आज है, अभी है, इसी क्षण है
यह बस है, यह बस है
इसी अनुभूति के साथ नव वर्ष २०१८ की शुभकामनायें |